Friday 13 November 2015

मुम्बई का एक सच

मान्या सुर्वे 70 और 80 के दशक के बीच का सबसे शक्तिशाली हिन्दू गैंगस्टर था। उस वक़्त मुम्बई में हर जगह सिर्फ उसी का सिक्का चलता था। मुम्बई की पहली “हिन्दू गैंग” मान्या सुर्वे ने ही बनायी थी। ये बात कम लोग जानते हैं कि मान्या सुर्वे असल में दाऊद
इब्राहिम और उसके बड़े भाई सबीर इब्राहिम का जानी दुश्मन था। वह दाऊद और पूरे मुम्बई में फैलते पाकिस्तान समर्थित अफगानी माफिया संघ के खिलाफ बाकायदा चुनौती देकर खुली जंग लड़ता था।

मान्या सुर्वे का एनकाउंटर उस समय के एसीपी ईशाक बागवन ने किया था। ये घटना 11 जनवरी 1982 को घटित हुई थी। मान्या सुर्वे को धोखे से पकड़कर एसीपी ईशाक ने मान्या की हत्या कर उसकी हत्या को एनकाउण्टर का रूप दे दिया। मान्या की मौत जहाँ कई लोगों के लिए एक चौंका देने वाली खबर थी वहीँ कुछ लोगों के लिए राहत देने वाली खबर बन गई थी। उस राहत और सुकून की सांस लेने वालों में से एक नाम दाऊद भी था जिसके बड़े भाई सबीर इब्राहिम को मान्या ने सरे आम गोली से उड़ा दिया था और खुद दाउद भी कई बार मान्या की गोलियाँ का शिकार होते-होते बचा था।

ये भी माना जाता है कि मान्या सुर्वे
उस दौरान दाऊद से कई गुना ज्यादा ताकतवर था। मान्या की मौत दाऊद के लिए फायदेमंद थी और आगे बढ़ने के लिए बेहद जरूरी भी। मान्या के एनकाउंटर ने दाऊद और पाकिस्तान समर्थक अफगान माफियाओं को मुम्बई पर हावी होने का मौका दे दिया। मान्या के डर से जो अफगानी गैंगेस्टर चूहे के जैसे बिल में दुबके बैठे थे वे अब खुल के सक्रिय हो गये और जिसकी परिणति मुम्बई बम धमाके 1992 के रूप में सामने आयी।

मान्या के समय तक मुम्बई चैन से जी रही थी, मान्या के मरते ही माफियाओं के निशाने से अछूते रहे बिल्डर, फिल्म इण्डस्ट्री के निर्माता-निर्देशक, अभिनेता, उद्योगपति सब इन अफगान माफियाओं के निशाने आ गये थे। इनसे पैसा वसूलकर आतंकवाद की फेक्ट्री पाकिस्तान भिजवाया जाता था। जहाँ यह पैसा ISI भारत में आतंकवाद फैलाने के काम में लेती थी।

हाजी मस्तान के समय तक घड़ियों, रेडियो जैसे इलेक्ट्रोनिक आइटम और सोने के बिस्किट की तस्करी करने वाला मुम्बई अफगान माफिया मान्या की मौत के बाद ड्रग्स, हथियार, लूट-पाट, फिरोती, वसूली और जबरन उगाई जैसे कामों में खुलकर उतर आया और मुम्बई को भारत की आपराधिक राजधानी बना डाला।

कुछ भी हो मानना पड़ेगा कि मान्या सुर्वे ने एक दशक तक पाकिस्तान समर्थित अफगान माफियाओं की नाक में नकेल डाल कर रखी, जो काम मुम्बई पुलिस नहीं कर सकी वह एक अकेले “हिन्दू गैंग” के मुखिया “मान्या सुर्वे ने कर दिखाया।

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