ओक्का बोक्का तीन तलोक्का
फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का
फगुआ कजरी कहाँ हेरायल
अब त गाँव क गांव चुडुक्का
नया जमाना नयके लोग
नया नया कुल फैलल रोग
एक्के बात समझ में आवै
जइसन करनी वइसन भोग
नई नई कुल फैलल पूजा
नया नया कुल देवी देवता
एक्कै घरे में पांच ठो चूल्हा
एक्कै घरे में पांच ठो नेवता
नउआ कउआ बार बनाउवा
कउनो घरे न फरसा झौआ
लगै पितरपख होय खोजाइ
खोजले मिलइ न कुक्कुर कउआ
बूढ़वन क चौपाल हेरायल
जोड़ी मुग्दल नाल हेरायल
हिप्पी कट क चलल जमाना
पहलवान कट बाल हेरायल
कहाँ गयल कुल बंजर ऊसर
लगत बा जइसे गांव ई दूसर
जब से ई धनकुट्टि आइल
कउनो घरे न ओखली मूसर
कहाँ बैल क घुंघरू घंटी
कहा बा पूरवट अउर इनारा
कहाँ गइल पनघट क गोरी
सूना सुना पनघट सारा
गांव गली में अब त ख़ाली राजनीती क होले चर्चा
अब ऊ होरहा कहा भुजला
कहा पिसाला नीमक मरचा
कभों कभों सोचीला भाई
अब ऊ दिन ना लौट के आई
अब ना वइसे कोयल बोलिहैं
वइसे ना महकी अमराई।।
This blog deals with social,political,cultural,and international issues.It is a window to my personal perspective.
Sunday, 26 July 2015
बदलल गाँव क सूरत
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