Thursday, 17 September 2015

एक तथ्य यह भी

रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन💥
सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था
उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था ।
वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर
रहती थी ।
रावन के मर जाने के बाद वह
अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास
गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी ।

राक्षसों का वंश ख़त्म न
हो
इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव
जी की आराधना की ।
शिव जी ने
अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर
कहा की जिस दिन कोई "वैष्णव" इस पर
गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन
राक्षसों का नाश हो जायेगा ।
उस आत्म
लिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव मतलब
हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित
किया जो आज अरब में "मक्का मदीना" में है ।
सूर्पनखा जो उस समय चेहरा ढक कर
रहती थी वो परंपरा को उसके बच्चो ने
पूरा निभाया आज भी मुस्लिम औरतें
चेहरा ढकी रहती हैं ।
सूर्पनखा के वंसज
आज मुसलमान कहलाते हैं ।
क्युकी शुक्राचार्य ने इनको जीवन दान
दिया इस लिए ये शुक्रवार को विशेष
महत्त्व देते हैं ।
पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है।

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