काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति की शानदार परम्परा रही है।सभी छात्र नेता जुझारू और संघर्षशीला थे।ईमानदारी में इन छात्र नेताओं का कोई जोड़ न था।सभी कांग्रेस के विरोधी थे।लाल मुनि चौबे जी को छोड़ लगभग सभी ने आगे चल कर कांग्रेस का दामन थामे लिया।समाजवादी छात्र नेताओं ने तो कांग्रेस को अपना घर बना लिया।जनसंघी छात्र नेता अपनी ही पार्टी में बने रहे।लेकिन सभी ने इंदिरा गाँधी द्वारा थोपे गये अपात काल का विरोध किया।सभी मीसा में बन्द हुये।चंचल जी उनकी गिरफ्तारी का रोचक संस्मरण बताया।स्वर्गीय लालमुनि चौबे । केंद्रीय कारागार बनारस में जैसे थे वह रूप ही साधु का था।
जितने छात्रनेता थे आपातकाल में सबकी गिरफ्तारी का अलग अलग रंग था । देबू दा मोहन प्रकाश और राधेश्याम सिंह किसी गोदाम में भूमिगत थे , सौभाग्य से वहाँ फोन भी था । देबू दा ने कहा ज़रा डी यम को हड़काओ तो ।और इसी हड़काने को डी यम लंबा खींचता गया , जब तक की पुलिस गोदाम तक नहीं पहुँच गयी । चौबे जी को गंगा से अद्भुत लगाव था गुप्तचर यह जानते थे । लंगोट कस कर ज्यों चौबे जी गंगा में कूदे पुलिस सामने । कब तक तैरते , लेकिन पुलिस को भी जम कर तैरवा दिए । नतीजतन थाने तक चौबे जी लंगोट में ही लाये गए । मारकंडे सिंह खाने के दुश्मन रहे । जहां कुछ दिखाई पड़ा वहीं टूट पड़ते थे । कचहरी में पुलिस ने केला खाते समय पकड़ा । नेता जी ने एंटी मार दिया वह वही गिर गया । लेकिन चालाक था पुलिसवाला उसने शोर मचा दिया , पाकिट मार है । जनता ने दौड़ा लिया और पकडे गए । राम बचन पांडे जी सारनाथ से पकड़ाए दही के चक्कर में । दही उनका प्रिय भोज रहा । और यह खादिम ? अति चतुराई में । इम्तहान दे के निकल लेंगे । लेकिन पुलिस वहाँ भी हाजिर । जेल के किस्से छात्र नेताओं के अलग शोध का विषय है।जिसे लिखा जाना चाहिए।
This blog deals with social,political,cultural,and international issues.It is a window to my personal perspective.
Sunday, 3 April 2016
जेल के किस्से
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment