Saturday 26 December 2015

कविता की यह बागी देखिये

स्वर्गीय पंडित श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'हल्दीघाटी' के ग्यारहवें सर्ग की एक बानगी देखिये:
वारिद के उर में चमक-दमक तड़-तड़ बिजली थी तड़क रही,
रह-रह कर जल था बरस रहा रणधीर-भुजा थी फड़क रही।
था मेघ बरसता झिमिर-झिमर तटिनी की भरी जवानी थी,
बढ़ चली तरंगों की असि ले चण्डी सी वह मस्तानी थी।
वह घटा चाहती थी जल से सरिता-सागर निर्झर भरना,
यह घटा चाहती शोणित से पर्वत का कण-कण तर करना।
धरती की प्यास बुझाने को वह घहर रही थी घन-सेना,
लोहू पीने के लिए खड़ी यह हहर रही थी जन-सेना।
नभ पर चम-चम चपला चमकी चम-चम चमकी तलवार इधर,
भैरव अमन्द घन-नाद उधर दोनों दल की ललकार इधर।
वह कड़-कड़-कड़-कड़ कड़क उठी यह भीम-नाद से तड़क उठी,
भीषण संगर की आग प्रबल वैरी-सेना में भड़क उठी।
डग-डग-डग-डग रण के डंके मारू के साथ भयद बाजे,
टप-टप-टप घोड़े कूद पड़े कट-कट मतंग के रद बाजे।
कलकल कर उठी मुग़ल-सेना किलकार उठी ललकार उठी,
असि म्यान विवर से निकल तुरत अहि-नागिन सी फुफकार उठी।
शर-दण्ड चले कोदण्ड चले कर की कटारियाँ तरज उठीं,
खूनी बरछे-भाले चमके पर्वत पर तोपें गरज उठीं।
फर-फर-फर-फर-फर फहर उठा अकबर का अभिमानी निशान,
बढ़ चला कटक लेकर अपार मद-मस्त द्विरद पर मस्त मान।
कोलाहल पर कोलाहल सुन शस्त्रों की सुन झंकार प्रबल,
मेवाड़-केसरी गरज उठा सुन कर अरि की ललकार प्रबल।



घनघोर घटा के बीच चमक तड़तड़ नभ पर ताड़ित तड़की,
झन-झन असि की झनकार इधर कायर-दल की छाती धड़की।
अब देर न थी बैरी-वन में दावानल के सम छूट पड़े,
इस तरह वीर झपटे उन पर मानो हरि मृग पर टूट पड़े।
मरने-कटने की बान रही पुश्तैनी इससे आह न की,
प्राणों की रंचक चाह न की तोपों की भी परवाह न की।
रण-मत्त लगे बढ़ने आगे सिर काट-काट करवालों से,
संगर की मही लगी पटने क्षण-क्षण अरि-कण्ठ-कपालों से।


गज गिरा मरा पिलवान गिरा हय कट कर गिरा निशान गिरा,
कोई लड़ता उत्तान गिरा कोई लड़कर बलवान गिरा।



निर्बल बकरों से बाघ लड़े भिड़ गये सिंह मृगछौनों से,
घोड़े गिर गए गिरे हाथी पैदल बिछ गये बिछौनों से।
हाथी से हाथी जूझ पड़े भिड़ गये सवार सवारों से,
घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े तलवार लड़ी तलवारों से।
हयरुण्ड गिरे गज-मुण्ड गिरे कट-कट अवनी पर शुण्ड गिरे,
लड़ते-लड़ते अरि-झुण्ड गिरे भू पर हय विकल वितुण्ड गिरे।
क्षण महाप्रलय की बिजली सी तलवार हाथ की तड़प-तड़प,
हय-गज-रथ-पैदल भगा-भगा लेती थी बैरी-वीर हड़प।


होती थी भीषण मार-काट अतिशय रण से छाया था भय,
था हार-जीत का पता नहीं क्षण इधर विजय क्षण उधर विजय।----------कोई हिन्दी का प्रगतिशील साहित्यकार इस तरह की कविता लिख के दिखा दे तो जाने!

Tuesday 8 December 2015

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कांग्रेस 420 माँ बेटे का भांडा फूटा !

खोजी बीजेपी नेता सुब्रमनियम स्वामी वैसे तो कई बार कांग्रेस खेमे में हलचल मचा चुके हैं लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी में भूचाल देखने को मिल रहा है जिसमें सोनिया गाँधी को कहना पड़ा कि ‘वे इंदिरा गाँधी की बहू हैं और कोई उन्हें डरा नहीं सकता’। इस मामले में दूसरे सबसे बड़े आरोपी राहुल गाँधी ने कहा है कि वे इसका जबाब संसद में देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक बदला ले रही है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर कोर्ट को सुब्रमनियम स्वामी की बात में दम दिखा होगा तभी तो उन्होंने इंदिरा गाँधी की बहू और उनके नाती को कोर्ट में पेश होने की हिम्मत दिखाई। कुछ लोग कह रहे हैं कि इस बार सुब्रमनियम स्वामी ने सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को ‘सही पकडे हैं’, लेकिन आइये हम आपको बताते हैं कि स्वामी ने इन लोगों को कैसे पकड़ा है।
पढ़ें पूरी कहानी सुब्रमनियम स्वामी की जुबानी
फ्लैशबैक (आजादी से लेकर 2008 तक)। नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र आजादी के समय से चल रहा था। इस समाचार पत्र की मालिक कंपनी का नाम था एसोसिएटेड जर्नल प्राइवेट लिमिटेड (AJPL)। 2008 में इस कंपनी के चेयरमैन थे कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोरा। आजादी के समय से ही यह समाचार पत्र चल रहा था और आजादी के समय से ही इसे फ्री जमीन, सस्ते लोन और अन्य सुविधाएँ मिल रही थीं। धीरे धीरे इस कंपनी के पास 2000 से 5000 करोड़ रूपए की संपत्ति जमा हो गयी जिसमे ऑफिस, बिल्डिंग, प्रिंटिंग प्रेस और अन्य संपत्तियां शामिल थीं।
इस कंपनी ने सस्ते लोन, सस्ती जमीन और संस्ती सुविधाएँ तो समाचार पत्र चलाने के नाम पर ली थीं लेकिन कंपनी ने गैरकानूनी काम करते हुए आवंटित जमीन पर कई शहरों में बड़ी बड़ी इमारतें, मॉल, पासपोर्ट ऑफिस, टूरिस्ट ऑफिस बना लिए। इस तरह से कंपनी के पास 2000 करोड़ से 5000 करोड़ रुपये तक की संपत्ति जमा हो गयी। 2008 में कंपनी ने घाटा दिखाकर कांग्रेस पार्टी से 90 करोड़ का लोन लिया। ध्यान दीजिये, लोन लेने समय लोन लेने वाली कंपनी (AJPL) के चेयरमैन थे मोतीलाल बोरा और लोन देने वाली वाली कंपनी यानी कांग्रेस पार्टी के भी कोषाध्यक्ष थे मोतीलाल बोरा। लोन लेते ही नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र बंद कर दिया गया और कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया।
2008 के बाद
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने एक यंग इंडियन नाम की कंपनी बनायीं। उसमे 76 फीसदी शेयर माँ बेटे के नाम था। यानी 38 फ़ीसदी शेयर सोनिया गाँधी के और 38 फ़ीसदी शेयर राहुल गाँधी के। इस कंपनी का भी डायरेक्टर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडीस को बना दिया गया। बचे हुए 24 फ़ीसदी शेयर में 12 फ़ीसदी शेयर मोतीलाल बोरा के नाम कर दिया गया और 12 फ़ीसदी शेयर
आस्कर फर्नांडीस के नाम कर दिया गया। यंग इंडियन कंपनी सिर्फ पांच लाख का खर्च दिखाकर खोली गयी थी। ध्यान देने वाली बात यह है मोतीलाल बोरा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी थे, AJPL के चेयरमैन भी थे और यंग इंडियन के डायरेक्टर भी बना दिए गए। यानी ये महाशय तीन तीन रोल निभा रहे थे।
ध्यान दीजिये, 2008 में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र बंद हो चुका था। पांच हजार करोड़ की संपत्ति बेमानी बड़ी हुई थी और समाचार पत्र की मालिक कंपनी
AJPL के चेयरमैन थे कांग्रेस कोषाध्यक मोतीलाल बोरा। कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को 90 करोड़ का लोन दिया था। लोन वापस लेना था लेकिन लोन वापस नहीं लिया गया। सोनिया गाँधी के कहने पर यंग इंडियन कंपनी के डायरेक्टर
मोतीलाल बोरा ने कांग्रेस कोषाध्यक्ष यानी खुद को 50 लाख रुपये का लालच दिया और उनसे कहा कि 90 करोड़ रुपये का लोन आपने AJPL को दिए थे, आपका लोन तो वापस मिलेगा नहीं क्यूंकि कंपनी दिवालिया हो गयी है इसलिए 50 लाख लेकर मामला रफा दफा करो और 90 करोड़ रुपये हम किसी तरह से ले लेंगे इसे आप यंग इंडियन के नाम कर दो। (खुद से कहने का मतलब है कागजी दस्तावेजों में)।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपये का कर्जा दिया था। इनकम टैक्स के नियम के अनुसार राजनीतिक पार्टियाँ बिजनेस के लिए लोन नहीं दे सकती क्यूंकि राजनीतिक पार्टियों को इनकम टैक्स में लाभ मिलता है। इन्हें इनकम टैक्स से जो भी सुविधा और लाभ मिलता है वह राजनीतिक काम करने के लिए है, देश में चुनाव लड़ने के लिए है। फिर भी कांग्रेस ने कर्जा दिया क्यूंकि उस समय 2008 में देश में कांग्रेस की सरकार थी।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि नेशनल हेराल्ड बैंक का कर्जा वापस करने के लिए अपनी कोई छोटी मोटी प्रॉपर्टी बेच सकता था और 90 करोड़ रुपये जुटा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और कांग्रेस पार्टी से 90 करोड़ का लोन लिया। क्यूंकि दोनों ही कंपनी के मुखिया मोतीलाल बोरा थे। उधर AJPL के चेयरमैन थे तो इधर कांग्रेस के कोषाध्यक्ष। सुब्रमनियम स्वामी ने यह भी बताया कि उनकी नीयत पहले से खराब थी इसलिए कांग्रेस से 90 करोड़ का लोन लेते ही कंपनी बंद कर दी गयी।
इसके बाद कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपये का लोन यंग इंडियन के नाम कर दिया जिसके डायरेक्टर मोतीलाल बोरा थे, उसके बाद मोतीलाल बोरा AJPL के चेयरमैन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर मोतीलाल बोरा (यानी खुद) के पास गए और उनसे कहा कि आपकी कंपनी बंद हो चुकी है इसलिए आप हमें लोन के बजाय 9 करोड़ शेयर (10 रुपये का एक शेयर यानी 90 करोड़ के) दे दीजिये।
सुब्रमनियम स्वामी ने बताया कि इन्होने इस तरह से AJPL के 99.1 फ़ीसदी शेयर यंग इंडियन के नाम करा लिए और पांच हजार करोड़ की संपत्ति यंग इंडियन के नाम हो गयी जिसके मालिक हैं सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी। मालिक इसलिए क्यूंकि दोनों के नाम 76 फ़ीसदी शेयर हैं और बाकी दोनों डायरेक्टर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडीस के नाम 12, 12 फ़ीसदी शेयर हैं।
सुब्रमनियम स्वामी ने बताया कि जो जमीन और प्रॉपर्टी नेशनल हेराल्ड ‘AJPL’ ने समाचार पत्र चलाने के लिए ली थी उसी प्रॉपर्टी को यंग इंडियन ने किराये पर दे दिया। बहादुर शाह जफ़र मार्ग पर बनी शानदार ईमारत को मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स और मल्टी नेशनल कंपनी को किराये पर दे दिया।
सुब्रमनियम स्वामी ने बताया कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने इस मामले में चार सौ बीसी और विश्वासघात किया है इसलिए मैंने सभी जानकारियां इकठ्ठी की और इनके खिलाफ केस दायर कर दिया।
उन्होंने बताया कि पिछले साल मैंने ये केस डाला हुआ था और कोर्ट इसकी सुनवाई के लिए 1 दिन लेता है लेकिन इस सुनवाई को रोकने के लिए इनके 10 सीनियर वकील लगे हैं और दिन भर कोर्ट में इसके लिए घंटों बोलते रहते हैं। इसलिए धीरे धीरे इस मामले में 1 साल पूरे हो गए लेकिन अब अंत समय आ गया है और इस केस को हम जीतेंगे। इसके बाद ट्रायल शुरू होगा और मै इन्हें वहां भी नहीं छोडूंगा।यह स्वामी जी ने बताया है।मै यह जानकारी आप तक पहुँचा रहा हूं।
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Monday 7 December 2015

भारत में घृणा की राजनीति

भारतीय इतिहास में Narendra Modi पहले नेता होंगे जिनका
विरोध करने के लिए नेता अभिनेता पत्रकार साहित्यकार
निजी स्वायत्त संस्थाये सभी के सभी उतर आये है... ये जितने
भी बुद्धिजीवी, साहित्यकार, लेखक, फिल्मवाले आज अपने
अवार्ड लौटा रहे हैं ये वास्तव में ये कान्ग्रेस के स्लीपर सेल हैं
जिनको पिछले कई वर्षों में शिक्षा, मिडिया से लेकर हर जगह
कान्ग्रेस ने फिट किया है,
क्योंकि कान्ग्रेस सत्ता में रहे या न रहे लेकिन उसके ये वामपंथी
मीडिया NGO रुपी स्लीपर सेल हमेशा बाहर से कान्ग्रेस की
लड़ाई लड़ते रहे हैं राष्ट्रवादी विचारधारा के खिलाफ...
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पत्रकारो एवम् न्यूज़ चैनलो के विरोध का स्तर और आलम ये है की
इन्हें देखने और पढ़ने के बाद ऐसा लगता है जैसे देश में गृहयुद्ध के
हालात हो.कानून व्यवस्था यूपी की खराब है लेकिन इन्हें
जवाब मोदी से चाहिए.सारी कमी सारी खराबी इन्हें मोदी
में ही नजर आती है...
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मजाल क्या जो कभी एक न्यूज़ एक लेख एक ब्लॉग लालू-नितीश
, मुलायम, मायावती , केजरीवाल , ममता के खिलाफ लिख
दिया हो सवाल ही नहीं पैदा होता आकाओ के खिलाफ
लिखने का हाथ ना कलम करवा देंगे इनके....
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वैसे भी मोदी सरकार के कढे रुख से भारत में जमे बैठे वामपंथी
गिरोह, बड़े बड़े विदेशी एनजीओ और मिशनरियो के साम्राज्य
के विस्तार पर संकट खड़ा हो गया है.....
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इसलिए कान्ग्रेस के ये स्लीपर सेल जिन्हे 2018 में सक्रिय होना
था, अब ये 2015 में ही सक्रिय हो रहे हैं....
आगे देखिएगा नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी समेत
कई बड़े अवार्ड धारी बाहर निकलेंगे जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
मोदी सरकार की छवि दागदार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे..
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वास्तव मे ये महज़ अवार्ड वापसी कार्यक्रम नहीं है बल्कि देश में
अस्थिरता और विद्रोह पैदा करने का एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है...
आने वाले सालों में कैलाश सत्यार्थी के साथ आमिर खान,
रवीश कुमार समेत तमाम वामपंथी लोग अपनी सिविल
सोसायटी बनाकर समाज में बदलाव के नाम पर लोकपाल
आंदोलन की तरह एक गैर राजनीतिक मुहिम शुरू करेंगे, जिसका
मकसद सिस्टम में बदलाव के बहाने मोदी सरकार के खिलाफ
आक्रामक अभियान चलाना होगा......
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अभी सिर्फ इतना ही कह सकत हूँ... कि ये बहुत बड़ा गेम हैं
जिसके मोहरें सुनियोजित तरीके से अपने काम पर लग गए हैं,
इसलिए फिलहाल बस सचेत हो जाइए …
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और यह बुद्धिजीवी अपने AC रूम में बैठ कर प्राइम टाइम पे बहस
कराते है की बीफ पे पाबन्दी क्यों ? लेकिन बंगाल के दुर्गोत्सव
की पाबन्दी इनको नही दिखती ?

Sunday 6 December 2015

कुछ पंक्तियां सिर्फ अपने लिये

किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नहीं,
बिन बुलाये मेहमान बनना मेरी आदत नहीं...!

मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
परायी खुशियों के पास जाना मेरी आदत नहीं...!

सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं...!

बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नहीं...!

जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नहीं,
कोई बद्दुआ दे मरने की, यूँ जीना मेरी आदत नहीं...!

सबसे दोस्ती की हैसियत से बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नहीं...!

दोस्ती होती है दिलों से चाहत पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नहीं..!
नाम है 'कौशल' है 'छोटा बहुत'मगर दिल
बडा रखता हूँ | |
पैसों से उतना अमीर नहीं हूँ| |
मगर अपने यारों के गम खरिदने
की हैसयत रखता हूं | |                                          विद्वान नहीं हूँ न विद्वत्ता का कोई पाखंड रखता हूँ। जो दिल में आता है बोल देता हूँ,                             फक्कड हूँ,अक्खड हूँ, झक्कड हूँ,                           श्मशान और जिन्दगी में फर्क नहीं रखता हूँ,               काशी रग-रग में बसती है यही मेरी जिन्दगी है,       किसी के दर्द को अपना दर्द मान लेता हूँ,               धोखा नहीं देता पर धोखा खा जाता हूँ,                  मन का राजा हूँ बस मन से ही जीता हूँ।।